फिर नदी पर पुल बना है

फिर कई मांझी मरेंगे

फिर सड़क बनने लगी है

खेत फिर कुछ खत्म होंगे

बांध बनते ही नदी से

मछलियां गायब हुई हैं

बाग बन जब जब कटे हैं

तितलियां गायब हुई हैं

खुद हमारे ही पतन की

हम कहानी गढ़ रहे हैं

ज़िन्दगी की खोज में हम

किस दिशा में बढ़ रहे हैं.....

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