आधी बात बताते हो तुम।
कैसे दर्द छुपाते हो तुम।।
नदियों अश्क़ ज़हाँ भर के ग़म
बिन बोले पी जाते हो तुम।।
कुछ कहने पर नज़र झुकाये
केवल शरमा जाते हो तुम।।
शिक़वे गिले जताना सीखो
आख़िर क्या जतलाते हो तुम।।
कैसे जी भर प्यार करें हम
मिलने से कतराते हो तुम।।
अब तो आंख मिचौनी छोड़ो
जब देखो छुप जाते हो तुम।।
मेरे रोने पर बोले हो
कितना अच्छा गाते हों तुम।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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