कितनी बार करी अनदेखी कितनी बार सताया तुमने।

सतत रहा है प्रणय निवेदन किन्तु सदा ठुकराया तुमने।।.........


आज हार कर लौट रहा हूँ 

जीवन के अनजाने पथ पर

आरूढ़ होकर ही लौटूंगा 

सुख-समृद्धि के स्वर्णिम रथ पर

तब तुम करना स्वयं आंकलन क्या खोया क्या पाया तुमने।।.....

सतत रहा है प्रणय निवेदन किन्तु सदा ठुकराया तुमने।।........


व्यर्थ रखीं आशायें तुमसे 

व्यर्थ तुम्हारी राह निहारी

टूटे सारे स्वप्न सुनहरे 

हाथ झार फिर चला जुआरी

बहुत बड़ा आभार तुम्हारा जग व्यवहार सिखाया तुमने।।.........

सतत रहा है प्रणय निवेदन किन्तु सदा ठुकराया तुमने।।.......

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