ज़िन्दगी कुछ गुम हुई लगती है अब।

हम से हस्ती तुम हुई लगती है अब।।

यूँ उरियां हूँ कि इन हालात में

ईंट हर कुलसुम हुई लगती है अब।।

थी कभी पहलू में हासिल जो खुशी

दूर का अंजुम  हुई लगती है अब।।

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