जबसे सुना है यूपी सरकार ने लॉकडाउन में 30 लाख रोजगार प्रतिदिन देने का लक्ष्य रखा है।देश विदेश के अविकसित क्षेत्रों में खुशी की लहर है। सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और कलकत्ता आदि से मजदूरों के एकाएक पलायन के पीछे भी योगी जी की यही रणनीति है।

 योगी जी का मानना है कि ऐसा ही पलायन खाड़ी देशों से भी होना चाहिए।इससे उन देशों को आसानी से सुलभ होने वाले श्रम का वास्तविक मूल्य पता चलेगा।

अब आप ही बताइए यह कहाँ से उचित है कि अपनी नई नवेली पत्नी,घर परिवार ,और कई कई जगह बाल बच्चों को छोड़कर लोग दो दो तीन तीन साल के लिए खाड़ी देशों में रोजगार के लिए भाग जाते हैं।वहाँ वे आठ से दस हजार रुपये पर गुलामी कर रहे होते हैं।इधर उनके घर वाले खेती के लिए मजूर ढूंढते फिरते हैं।

अरे भाई आप क्यों नही मानते कि:-

 जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी!!" 

अवधी के सशक्त हस्ताक्षर स्वर्गीय रफीक़ सादानी ने कहा भी है,

             ' नई मेहरिया छोड़ के दुबई भागत हौ

           जैसे तैसे करो गुजारा उल्लू हो।।"


सबसे बड़ी बात जब इन श्रमिकों की कमी महसूस होगी जब वह सुविधा संम्पन लोग परेशान होंगे तो श्रम का सम्मान भी करेंगे। अभी तो यह स्थिति है कि काम वाली बाई को भी एक दिन की छुट्टी नहीं मिलती थी और ये ऐसे लोग हैं जो अपना वीकेन्ड सपरिवार ऊटी खंडाला में मनाते हैं।

आज जब इन राज्यों में श्रमिको की कमी महसूस हुई तो यही राज्य उन्हें बंधक बनाने पर उतर आए हैं।

 हमारे नेताओं को हमारी चिंता थी। इसीलिए उन्होंने अंग्रेजी शासन काल मे बने श्रम कानूनों को तीन साल के लिए रद्द कर दिया।

 अभी श्रमिक इन काले कानूनों से आज़ाद है। अभी इन श्रमिकों के लिए वीजा परमिट की व्यवस्था हो रही है। अब जिन राज्यों को श्रमिकों की आवश्यकता है वह हमारे राज्य से आवेदन करेगा। तब मजदूर भेजे जायेंगे। अभी यह पलायन और राज्यों की सीमाओं पर सख्ती से मज़दूरों को विदेश जाने या आने जैसी फीलिंग हो रही है। सबसे बड़ी बात सरकार ने एक जगह से दूसरी जगह जाने में लगने वाला समय पैदल, रेल और हवाई यात्राओं में लगभग एक समान कर दिया है। मजदूर भी दस से पन्द्रह दिन में अपने गंतव्य तक पहुंच रहा है। ट्रेनें भी टिकट बुकिंग परमिशन आदि के बाद अटक भटक कर नौ दस दिन की यात्रा करा दे रही हैं।और हवाई यात्रा में भी तीन दिन का प्रोसेस तीन दिन की यात्रा और सात दिन क्वारंटाइन कुल मिला कर तेरह चौदह दिन की यात्रा करा दे रहीं है। दरभंगा वाली बिटिया ने तो दिखा दिया , " गे ट्रम्प जी ! तुहरा  हवाई जहाज से तो हमरा सईकिलिये ठीक है।सात दिन ही लगा।"

  एक बात अब समझ मे आने लगा है कि किसी राजा के रथ लेकर पहुँचने से पहले ऋषि मुनि कैसे पहुँच जाते थे।

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