आप क्यों ज़हमतें उठाते हैं।

हम ही महफ़िल को छोड़ जाते हैं।।

अब वफ़ादारियां नहीं मिलती

गोकि कुत्ते वफ़ा निभाते है ।।

हमसे रिश्ते बना के रखियेगा

खोटे सिक्के भी काम आते हैं।।

किन खयालों में आप खोये हैं

दिन कहाँ फिर से लौट पाते हैं।।

जब जवां थे तो कोई बात न थी

अब मगर उन दिनों की बातें हैं।।

दुश्मनों पर यक़ीन है लेकिन

दोस्तों को भी आज़माते हैं।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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