कौन आकर भला गज़लों के उजाले देता।
इश्क़ जो हुस्न के बढ़कर न हवाले देता।।
जो न होते तेरी दुनिया मे ये साक़ी ये शराब
कैसे ग़ालिब कोई मस्ती के रिसाले देता।।
अपने पीएम का ख़ुदा मान के बोसा लेते
लॉकडाउन में जो हर हाथ मे प्याले देता।।
आज सलहज ने जिस अंदाज में जीजा बोला
यूँ लगा काश ख़ुदा बीस ठो साले देता।।
सच कहूँ तो यहीं दहकां है ख़ुदा धरती पर
ये न होता तो हमें कौन निवाले देता।।
सुरेश साहनी, अदीब
कानपुर
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