तुम मेरा प्यार पा के बैठ गए।

क्यों मेरा दिल दुखा के बैठ गए।।

हम को लड़ना पड़ा ज़माने से

तुम तो चेहरा चुरा के बैठ गए।।

हम तुम्हारी पनाह क्या पाते

तुम ही दिल मे समा के बैठ गए।।

तुमसे बोला कि साथ चलना है

और अब क्या हुआ के बैठ गए।।

एक दिल हमने उनसे क्या मांगा

वो तो बाजार लाके बैठ गए ।।

इस भरम में कि प्यार दौलत है

हम बहुत कुछ लुटा के बैठ गए।।

हमने चाहा कि दिल की बात करें

और तुम मुँह घुमा के बैठ गए।।

प्यार के इम्तेहान तुम भी दो

बस हमें आजमा के बैठ गए।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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