यार बहर में ग़ज़ल नहीं है।
ये कुछ हो पर ग़ज़ल नहीं है।।
और चाहिए जिस तेवर में
उस तेवर में ग़ज़ल नहीं है।।
मुफ़लिस तो मुफ़लिस ही ठहरे
उनके घर मे ग़ज़ल नहीं है।।
अक्षर अक्षर ब्रम्ह भले हो
हर अक्षर में ग़ज़ल नहीं है।।
यार बहर में ग़ज़ल नहीं है।
ये कुछ हो पर ग़ज़ल नहीं है।।
और चाहिए जिस तेवर में
उस तेवर में ग़ज़ल नहीं है।।
मुफ़लिस तो मुफ़लिस ही ठहरे
उनके घर मे ग़ज़ल नहीं है।।
अक्षर अक्षर ब्रम्ह भले हो
हर अक्षर में ग़ज़ल नहीं है।।
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