चलो कुछ चीजें  छोड़ते हैं

या यूँ कहें

कुछ आदतें बदल लेते हैं

मसलन

सोचना ,बोलना ,लिखना

या प्रतिक्रिया देना

 या नाहक सच कहना

कुछ चीजों को

स्वीकार कर लेते हैं

जैसे महंगाई

बेरोजगारी, अनाचार ,

सत्ता पोषित हिंसकता 

आदि आदि

यकीन करिये

आप तक आँच पहुंचने तक

आप सुरक्षित रहेंगे।।

सुरेश साहनी

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