लोग पहले भी बीमार होते रहे हैं और ठीक भी होते आये हैं। लोग पहले भी असमय अथवा समय आने पर परलोक जाते रहे हैं।संसार यथावत है।रूसो के अनुसार प्रकृति सब संतुलित रखती है। चाहे वह अनाज और जनसंख्या का संतुलन ही क्यों न हो । प्राकृतिक संसाधनों के अनावश्यक दोहन का दण्ड वह समय समय पर देती  रहती है। उसे बस्ती और जंगल या प्राकृतिकता और कृतिमता को संतुलित करना आता है।

 बात यहाँ बीमार होने और मानव की प्रतिरोधक क्षमता पर होनी चाहिए। पर मीडिया किसी के स्वस्थ होने पर उसे असाधारण हीरो अथवा विजेता की तरह प्रदर्शित करने में लगा है। मैं भी इन्हीं लक्षणों में अस्वस्थ हुआ और ठीक भी हो गया। हाँ एक बात मन मे बैठा ली थी कि आम बुखार पांच दिन लेता है तो वाइरल बुखार ज्यादा से ज्यादा दस दिन ले लेगा। ईश्वर कृपा से ठीक भी हो गया। पर इंसमे विजेता या पराजित जैसी उपाधियों का उल्लेख क्यों करना। आखिर हम जबरन लोगों को डराने का काम क्यों कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।

 हाँ पथ्य और बचाव पहले भी हम करते आये हैं।अतः इन परिस्थितियों में मास्क और दो ग़ज़ की दूरी अवश्य अपनाएं।

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