ये न समझो जमात वाले हैं।
हम तो तम्बू कनात वाले हैं।।
हम गरीबों को गैर मत समझो
हम इसी कायनात वाले हैं।।
उनसे धोखा मिला है दुनिया को
जो ये कहते थे बात वाले हैं।।
नसीब वाले तुझे खयाल रहे
हम भी शह और मात वाले हैं।।
आप को कोफ्ता मुबारक हो
हम तो बस दाल भात वाले है।।
मेरी पत्तल भी छीन बैठे हैं
कैसे थाली परात वाले हैं।।
कैसे कैसे हैं आज संसद में
गोया शिव की बरात वाले हैं।।
सुरेश साहनी
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