क्यों कहें धोखा दिया है आपने।

होश में जो ला दिया है आपने।।


इक मुहब्बत ही नहीं है ज़िंदगी

सिर्फ़ ये समझा दिया है आपने।।


हम न भूलेंगे यकीनन उम्र भर

इक सबक अच्छा दिया है आपने।।


बाद में गिर के सम्हलना था कठिन

वक्त से झटका दिया है आपने।।


कम से कम हम काम आए आपके

शुक्रिया मौका दिया है आपने।।


सुरेश साहनी कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है