जब जफ़ा पर कोई सवाल आया।
मुझको अक्सर तेरा ख़याल आया।।
दर्द मुझको उठा के महफ़िल से
फिर बियावान में बिठाल आया।।
अश्क हँसते नज़र नहीं आते
कौन सीने में दर्द डाल आया।।
याद आई कि झील में दिल के
फिर से कंकड़ कोई उछाल आया।।
उन निगाहों में कुछ तवक़्क़ो थी
उन सवालों को मैं ही टाल आया।।
दिल की तन्हाइयों सहमती हैं
रात आयी कि वो बवाल आया।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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