धूप हाथों से फिसलती जा रही थी और हम।
बर्फ़ यादों की पिघलती जा
ज़िन्दगी करवट बदलती
आरजू फिर भी मचलती
ज़िन्दगानी दिन की ढलती
दम ब दम हसरत निकलती
इक नदी अब भी उछलती
पर शमा बेलौस जलती
दिल मे इक उमीद पलती
चिट्ठियां पानी मे गलती
धूप हाथों से फिसलती जा रही थी और हम।
बर्फ़ यादों की पिघलती जा
ज़िन्दगी करवट बदलती
आरजू फिर भी मचलती
ज़िन्दगानी दिन की ढलती
दम ब दम हसरत निकलती
इक नदी अब भी उछलती
पर शमा बेलौस जलती
दिल मे इक उमीद पलती
चिट्ठियां पानी मे गलती
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