दर्द दिल के उभार जाते हैं।
जान जीते जी मार जाते हैं।।
लाख दुनिया से जीत कर आये
आप अपनों से हार जाते हैं।।
उनकी इज़्ज़त रहे रहे न रहे
आपकी तो उतार जाते हैं।।
उस गली से नहीं चले ग़ालिब
जिस गली से ख़ुमार जाते हैं।।
साख देखें कि बेबसी अपनी
वो जो लेने उधार जाते हैं।।
मेरी मैय्यत पे लोग बोल उठे
आज यारों के यार जाते हैं।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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