राख में अंगार लेकर जी रहे हैं।

हम तुम्हारा प्यार लेकर जी रहे हैं।।

लाश जैसे हो गए तुम रूठ कर 

और हम मनुहार ले कर जी रहे हैं।।

मुँह चुराने के लिए हालात से

हाथ मे अखबार लेकर जी रहे हैं।।

लोग तो सरकार चुन कर मर गए

और वे सरकार लेकर जी रहे हैं।।

वो  न बेचें  देश  तो  मर जायेंगे

ज़ेहन में व्यापार लेकर जी रहे हैं।।

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