चलो जीने की आदत डालते हैं।
किसी से क्यों अदावत पालते हैं।।
किसी से रार या तकरार करना
जहाँ तक हो सके हम टालते हैं।।
तुम्हारे हुस्न में ऐसी कशिश है
न पूछो कैसे दिल सम्हालते हैं।।
तुम्हारी याद जाती ही नही है
दिमाग अपना बहुत खंगालते हैं।।
तेरी रुसवाइयों का डर है वरना
हमे करना है तो कर डालते हैं।।
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