बात थी आयी गयी सन्दर्भशः।

ज़िन्दगी चलती रही सन्दर्भशः।।

मैं प्रसंगों में कहीं आया नहीं

ज़ीस्त आरोपित हुयी सन्दर्भशः।।

कुछ इधर तो कुछ उधर जोड़ा गया

यूँ कहानी बन गयी सन्दर्भशः।।

काम उसने राक्षसों वाले किये

बात देवों सी कही सन्दर्भशः।।

सच समय पर सामने आया नहीं

झूठ की मढ़ती रही सन्दर्भशः।।

कृष्ण आये किन्तु थोड़ी देर से

पांचाली लुट गयी सन्दर्भशः।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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