मन्नत तो उन माताओं ने मानी ही होगी

सब देवी देवताओं को भी पूजा ही होगा

फिर उनके भगवान किसलिए रूठ गये बाबा

माताओं से लाल किसलिए छूट गए बाबा

पूरे भारत में बाबा सरकार तुम्हारी है

अब कुछ अच्छा करने में कैसी लाचारी है


किस मुश्किल से एक बाप को बेटा मिलता है।

नाना को नाती बाबा को पोता मिलता है

घर वालों को आशाओं का सूरज मिलता है

या विचलित नावों को एक किनारा मिलता है

बड़ी तपस्या से घर में आती किलकारी है।।

अब अच्छे दिन लाने में कैसी लाचारी है।।

सुरेश साहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है