कुछ गीत हमें फिर लिखने हैं
मंचों पर टिकने की ख़ातिर
हाटों में बिकने की खातिर
अब तक जो गीत लिखे उनमें
दिखती मेरी खुद्दारी है
लेकिन दुनिया की नजरों में
सच लिखना इक बीमारी है
कुछ झूठ हमें सच लगते हैं
वो झूठ हमें फिर लिखने हैं
मंचों पर टिकने की ख़ातिर
अपने को छलने की ख़ातिर
Comments
Post a Comment