सिर्फ़ दुआ ही मेरे हिस्से।

बस इतना ही मेरे हिस्से।।

साकी ज़ाम पियाले उनको

रिक्त सुराही मेरे हिस्से।।

घर दालान सभी कुछ उनका

आवाजाही मेरे हिस्से।।

घर के बंटवारे में आई

बस अम्मा ही मेरे हिस्से।।

आयी मेरे सीधेपन से 

खूब तबाही मेरे हिस्से।।

सब हैं मनमर्ज़ी के मालिक

और मनाही मेरे हिस्से।।

#सुरेशसाहनी, कानपुर

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