अपनी पलकों में छिपा लो हमको।
आज हमसे ही चुरा लो हमको।।
मरहला है कोई मकाम नहीं
हो सके आज ही पा लो हमको।।
हम तो खुशबू हूँ बिखर जायेंगे
अपनी सांसों में बसा लो हमको।।
इसके पहले की चलें जाएँ कहीं
दे के आवाज़ बुला लो हमको।।
कल नही होंगे तो पछताओगे
आज जी भर के सता लो हमको।।
कल तुम्हे याद रहे या न रहे
आज कुछ सुन लो सुना लो हमको।।
कुछ सुकूने-ग़मे-फ़िराक़ मिले
अपने ख्वाबों में सजा लो हमको।।
सुरेश साहनी,अदीब" कानपुर
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