जिक्र उसका रुला गया फिर से।

आज वो याद आ गया फिर से।।

नींद पलकों तलक  ही पहुंची  थी

ख्वाब उसका जगा गया फिर से।।

कल भी हँसता था,तोड़ कर दिल को

देखकर मुस्कुरा गया फिर से।।

डूब जाता हूँ होश में आकर

ज़ाम कैसा पिला गया फिर से।।

इससे पहले कि मैं खड़ा होता

कोई ठोकर लगा गया फिर से।।

सुरेश साहनी ,कानपुर

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