कौन कितना बड़ा मदारी है।

आज भी ये तलाश जारी है।।


कौन सा देव कौन सा मंदिर

वो सिरफ देह का पुजारी है।।


लाख दुनिया पे राज करता है

मेरी नजरो में वो भिखारी है।।


हाँ वही लोग आज छोटे हैं

जिनकी ऊँची महल अटारी है।।


आप उसको पकड़ नही सकते

उसमें इतनी तो होशियारी है।।


मेरी आँखों में चन्द सपने हैं

 वो इसी बात का शिकारी है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है