नागफनी के अंचल में हूँ।

इंद्रप्रस्थ के जंगल में हूँ।।


अश्वसेन ना बन बैठूं मैं

खांडव के दावानल में हूँ।।


पाकर प्रेम बरस जाऊंगा

मैं बंजारे बादल में हूँ।।


दिल के आईने में ढूंढो

मैं नैनों के काजल में हूँ।।


धड़कन में हूँ दिल के तेरे

और नफ़स की हलचल में हूँ।।


कौन निकल पाया है इससे

हाँ माया के दलदल में हूँ।।


तुम हो लाली उषाकाल की

मैं अपने अस्ताचल में हूँ।।


ओढ़ कफ़न ऐसा लगता है

शायद तेरे आँचल में हूँ।।


छोड़ो भी यह मिलना जुलना

तुम अब में हो मैं कल में हूँ।।

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