आपके मुंह में पान है बाबू।

खूब शीरी ज़ुबान है बाबू।।

हम को इतना तो ज्ञान है बाबू।

हम जो चुप हैं  तो जान है बाबू।।

आपको वक़्त ही बताएगा

वक़्त हमसे महान है बाबू।।

बात ये आसमाँ समझता है

अपनी कितनी उड़ान है बाबू।।

अब मशीनें ही बोल पाती हैं

आदमी बेज़ुबान है बाबू।।

अपनी औकात और क्या होगी

आप ही की कमान है बाबू।।

जीते जी मैं भले न ले पाया

अब तो दो गज़ मकान है बाबू।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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