कविता अच्छी या बुरी नहीं होती
पर कवि का
छोटा या बड़ा होना सुना है
छोटे कवि बहुत बड़े होकर भी
छोटे ही रहते हैं
बड़े कवि कभी
छोटे नहीं रहे होते हैं
उनकी कविता से बड़ी
उनकी लॉबी होती हैं
पहुँच होती हैं
शायद शोच भी
छोटा कवि किसी पौधे की तरह
बरगद के नीचे बढ़ने का
प्रयास करता है
और एक दिन गुम हो जाता है
अपनी कविताओं की तरह
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