ख़ुद को खोकर तुमको पाया

तुमको पाकर स्वत्व मिल गया।

मैं मर मिटा भले ही तुम पर

पर मुझको अमरत्व मिल गया।।


तुमको पाकर भी खोना था 

तुमको खोकर ही पाना था

यह अदृश्य विनिमय ही दिल के

सौदे का ताना बाना था


आधे काम अधूरी रति को

पूर्णानन्द शिवत्व मिल गया।। खुद को खोकर


तुमने अपनी नींद गंवाकर

मुझे अंक भर सुला लिया जब

मेरी आँखों में निहार कर

मुझको दर्पण बना लिया जब


बैरी जग भी मित्र लगे है

तुमसे वह अपनत्व मिल गया।। खुद को खोकर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है