अगर तुम आ रहे हो तो बताना।
कन्हैया आस झूठी मत बंधाना।।
छला है तुमने ब्रज की गोपियों को
कभी गलती से बरसाने न जाना।।
अभी दुश्शासनों की बाढ़ सी है
अभी है कंस ये सारा ज़माना।।
अभी हर ओर गौवें कट रही हैं
खुला है हर शहर में कत्लखाना।।
हजारो द्रौपदी लुटती हैं निसदिन
बचाना एक को है तो न आना।।
बता देना मुझे लाना पड़ेगा
मेरे घर है अगर माखन चुराना।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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