आख़िर किस्सा ए हरजाई क्यों लिक्खें।

क्यों लिक्खें अपनी रुसवाई क्यों लिक्खें।।

जब लिखकर ख़ुद को बेपर्दा होना है

अपनी हो या बात पराई क्यों लिज्खें।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है