मेरे दर्दे दिल की दवा था जो
अभी उसमें कोई असर नहीं।
मैं भी गुम था किसके ख़याल में
जिसे मेरी कोई ख़बर नहीं।।
कभी राब्ता था बला से था
कभी आशना था हुआ करे
अभी अपने हाल पे खुश हूँ मैं
कोई मेरी फ़िक्र भी ना करे
अभी में हूँ खुद की तलाश में
मेरी मन्ज़िलों पे नज़र नहीं।।
जो मिरा मक़ाम दिला सके
मिली ऐसी राहगुज़र नहीं।
मैं तो गुम था उसके ख़याल में
मुझे अपनी कोई खबर नहीं।।SS
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