बड़ा लेखक बनने के कई नुस्खे हैं। ये दादी के नुस्खों की तरह ही हैं।मेरे मित्र ने एक संस्मरण सुनाया कि कैसे लोहिया जी मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए। उन्होंने अपनी जगह नेता जी को मुख्यमंत्री बनवा दिया।बाद में एक दिन साथ मे पीते समय उन्होंने(लोहिया जी)अपनी इस वेदना को उनसे व्यक्त किया था। 

 मैने पूछा - 'क्या नेता जी के मुख्यमंत्री बनते समय लोहिया जी उनके साथ थे? और तब आप कितने साल के थे। फिर लोहिया जी पीते थे ये कैसे मान लें।

    अरे यार!तुम तो ज़बान पकड़ लेते हो। अरे हम उनके साथ काफी पीते थे।, मित्र ने खिसियाते हुए कहा।पर मैंने कहा लोहिया जी तो 1967 में ऊपर जा चुके थे।

   मित्र का पारा चढ़ चुका था पर वे संयत होते हुए बोले, ' यार! सब तुम्हारी तरह पढ़े लिखे नहीं होते। आज मोदी जी सरदार पटेल को अपना राजनीतिक गुरु बताते हैं।कउनो सवाल पूछता है क्या?

  अरे बड़ा नेता बनने के लिए हम अपनी फोटू गांधी जी के साथ दांडी यात्रा करते हुए लगा दें  तब भी कउनो तुम्हारी तरह सवाल नहीं पूछेगा।और सुनो तुम अपनी अउकात में नहीं रहते । इसी लिए आज तक बड़े साहित्यकार नहीं बन पाए। "

   मित्र आपे में नहीं थे। मैं भी मौके की नज़ाकत देखकर पतली गली से  निकल गया था।

       लेकिन एक बात तो है आज मित्र की बात पर मैंने गम्भीरता से मनन किया।मुझे पहली बार मित्र में साक्षात गुरु घण्टालेश्वर महाराज दिखाई दिये।  

   लगा जैसे मुझे गुरुमंत्र मिल गया है। मैं भी बड़ा लेखक बन सकता हूँ अगर मैं लिखूं कि अमृता प्रीतम साहिर और इमरोज से मन खट्टा होने पर मुझे ही फोन किया करती थीं। या दिनकर जी रश्मिरथी लिखने में मुझसे सलाह लेते रहे।या परसाई जी ने अनूप शुक्ल  को व्यंग लेखन में सफलता के लिए मुझसे टिप्स लेने का सुझाव दिया था। देख लो आज वे कितना आगे निकल चुके हैं। 

    इसके अलावा यह भी विचार आया कि अटल जी के साथ कवि सम्मेलन का फोटोशॉप बनवा लें। ऐसा करने से एक लाभ यह होगा कि मेरे रचना संग्रह  कूड़ा करकट  को पुरस्कार मिलने की सम्भवना बढ़ जाएगी। 

  धीरे धीरे मेरे ख्याल ज्ञानपीठ की तरफ बढ़ रहे थे कि अचानक जैसे मेरे ख्यालों पर किसी ने बन फोड़ दिया था। कान में घरवाली का कर्कश स्वर गूंज गया--

    ' मोबाइल में डूबे रहोगे कि साग सब्जी भी लाके धरोगे। ये कविता कहानी से पेट नहीं भरेगा। " 

     और असमय जागने से हम बड़े लेखक बनते बनते रह गए ।

  

     

--क्रमशः

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