जन्मा निषाद कुल का गुमान।

आया था लेकर नव विहान।।

उन्नत ललाट चौड़ा माथा

लिखने आया गौरव गाथा

फिर बना धनुर्धर वो महान।।

वह काश्यप कुल का परशुराम

वह द्रविण जनों का वीर राम

वह महाबाहु वह तेजवान।।

आया लेकर खुशियां अनन्त

फैला उजियारा दिग्दिगन्त

खग कुल करते आनन्द गान।।

एकलव्य

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