थरिया थरिया भूख भरल बा 

चुटकी चुटकी भात मिलल बा।

हमहन के किसमत बा इहे

डेगे डेगे घात मिलल बा।।


इनके देखलीं उनकर सुनलीं

इनसे काS उनहूँ से कहलीं

बारह धाम निहोरा कइलीं

सौ सौ बार मनौती मनलीं


केतना बेर उपासे रहलीं

खस्सी भेड़ चढ़इबो कइलीं

सबकर किसमत जागत देखलीं

आपन भाग ओंहात मिलल बा।।


सुत्तत जागत उट्ठत बइठत

दउड़त भागत टहरत डगरत

थाकल देह न बुझलीं थाकल

असकत तूरत काँखत कँहरत


दिन दुपहरिया भागत रहलीं

कब्बो बेर कुबेर न जनलीं

तब्बो जइसे फटहा झोरी-

में हमके खैरात मिलल बा।।

#सुरेशसाहनी

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