प्यार क्या है महज छलावा है।

वो ही भाता है जो दिखावा है।।

प्यार जिसको है कुछ नहीं कहता

जो फरेबी है उसका दावा है।।

मेरा जाना अनोखी बात नहीं

आपका भी वहां बुलावा है।।

तेरा बीमार हूँ यही सच है

तुझको लगता है तू मदावा है।।

सब ये सोचे हैं वो न जायेंगे

खूबसूरत मग़र भुलावा है।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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