क्या ये परमात्मा की ढिठाई नही है।
राखी तो है पर कलाई नही है।।
किसी घर में भाई है बहनें नही है
कही पर बहन है तो भाई नही है।।
कलाई है राखी के पैसे नही हैं
किराया नही है मिठाई नही है।।
यहां महंगाई ने मार डाला सभी को
बकौल हुकमरान महंगाई नही है।।
तमन्ना है जाके बनें हम ही भाई
हर बहन के जिसके भाई नही है।।
सुरेशसाहनी
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