अभी आगाज़ है अंजाम तो हो।
जवानी का तुम्हें इलहाम तो हो।।
जफ़ाओं का भी कुछ इनाम तो हो।
मुहब्बत में वफ़ा नीलाम तो हो।।
तभी दुनिया समझ आएगी तुमको
ज़रा दो चार में बदनाम तो हो।।
दिया हूँ तव समझ आएगा तुमको
जवानी की तुम्हारे शाम तो हो।।
बहुत दिन तुम रहे हो धड़कनों में
तो रुकते हैं तुम्हें आराम तो हो।।
Comments
Post a Comment