हुस्न इतना भी दागदार न कर।
इससे बेहतर है प्यार वार न कर।।
फ़ितरतन इश्क़ जान देगा ही
तुझको जीना है जाँनिसार न कर।।
इश्क़ और मुश्क कब छुपे हैं पर
कम से कम ख़त तो इश्तेहार न कर।।
इश्क़ इतना भी ताबदार नहीं
यूँ अयाँ हो के बेक़रार न कर।।
दिल के बदले में दिल ज़रुरी है
दिल के मसले में तो उधार न कर।।
क्या गए वक़्त से मुतास्सिर है
वो न आएगा इन्तिज़ार न कर।।
जब तू बाज़ार में नुमाया है
दफ़्तरे-दिल तो तारतार न कर।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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