तुम सूरज का ताप बन सको।
दुष्टों का संताप बन सको।।
क्या तुममें इतना साहस है
जो राणा प्रताप बन सको।।
ख़िदमतगार ख़ुदाई होना।
दीनजनों की माई होना ।।
सच पूछो तो बहुत कठिन है
रानी लक्ष्मीबाई होना।।
काम अगर निष्काम नहीं है।
सृष्टि परक यदि काम नहीं है।।
वह ढोंगी है संत नहीं है
उसके मन मे राम नहीं है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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