बीजेपी अम्बानी की है,कांग्रेस अम्बानी का।
कर ली दुनिया मुट्ठी में अब हुआ देश अम्बानी का।।
कैसे कह दे यह अपना है यह विशेष अम्बानी का।
अब सरकार किसी की हो पर है नरेश अम्बानी का।।
देश के सेवक भेष बदल कर हुए मुलाजिम पूँजी के
ख़िदमत जनता की करनी थी हो गए खादिम पूँजी के
पूँजी हो गयी पूंजीपति की पूंजीपति अम्बानी का।
अरबपति भी आज हो गया खरबपति अम्बानी का।।
उसकी रेल जहाज़ उसी के उसका हर स्टेशन है
पहले वह भी था नेशन का अब उसका ही नेशन है
पीएम और मिनिस्टर उसके सदन हुआ अम्बानी का।
साँसे धड़कन सब गिरवी हैं बदन हुआ अम्बानी का।।
रोटी कपड़ा और मकान सस्ते होने की बारी है
उसको किश्तों में जनता को देने की तैयारी है
पाई पाई जनता की है अब निवेश अम्बानी का।
वेश और गणवेश विमल के है स्वदेश अम्बानी का।।
सुरेश साहनी
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