बन्ध और अनुबन्ध इन्ही शर्तों पर जीवन

अपने हिस्से महज वेदना और समर्पण

क्या उनका अपना कोई दायित्व नही है

यही वेदना क्यों उनमे अपनत्व नही है?


तुमने उनके लिए किया क्या?क्या बोलोगे

किया धरा निर्मूल्य हुआ तब क्या बोलोगे

तुम अपने प्रति कोई अपेक्षा क्यों करते हो

अपना तुमको छोड़ गया तब क्या बोलोगे?


खूब समर्पित रहो अंत में यह पाओगे

अपनों को सब देकर खाली रह जाओगे

 बंधु बान्धव और यहां तक कि भार्या भी

पूछेंगे क्या किया कहो क्या बतलाओगे?

सुरेशसाहनी

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