किस तरह तुम उभय पक्ष साधे रहे।

इस तरफ उस तरफ आधे आधे रहे।।


तुमसे अच्छे रहे अर्ध नारीश्वर

तुम न मीरा बने तुम न राधे रहे।।


तुम मदारी हुए फिर भी पुतली रहे

किसके कहने पे बस कूदे फांदे रहे।।


तुममे काबिलियत है कोई शक नही

झूठ कह कह के मजमे तो बांधे रहे।।


एक अंगुली पे गिरधर उठाया किये

इक तरफ कालिया नाग नाधे रहे।।


हम निरे भक्त के भक्त ही रह गए

जो कि तुझ से छली को अराधे रहे।।


सुरेश साहनी, कानपुर ग़ज़ल

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है