आप हमको कहाँ कहाँ रखते।

दिल में रखते कि सू-ए-जाँ रखते।।

डूब जाते तो क्या बता पाते

हम किनारे जो किश्तियाँ रखते।।

दिल के रिश्ते में आप थे हम थे

और हम किसको दरमियाँ रखते।।

ठीक है आप ही बता दीजै

आग रखते कि हम धुंआ रखते।।

हम चिरागों को साथ ले आते

शौक से आप आंधियां रखते।।

आप मिलते तो घर बसा लेते

लोग कितनी भी बिज़लियां रखते।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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