इश्क़ नज़रे यार में कम ही रहा।

हुस्न भी हर वक़्त बरहम ही रहा।।

साथ उनका कैसे गुज़रा इस तरह

खूब दहका गुल मैं शबनम ही रहा।।

ज़ख़्म तमगे से लगे हैं इश्क़ में

दर्द जैसे दिल पे मरहम ही रहा।।

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