रिश्ते नहीं बवाल हो गए।

झोले झल्ली झाल हो गए।।

बाबू का चश्मा क्या टूटा

बेटे पीले लाल हो  गये।।

बच्चे बोझ समझ बैठे थे

बूढ़े दिल कंकाल हो गए।।

बहुएं खुश हैं बुड्ढे टपके

बेटे मालामाल हो गए।।

मां भी तन्हा कब तक जीती

पूरे अस्सी साल हो गए।।

राम महज़ आदर्श रह गए

सरवन सिर्फ मिसाल हो गए।।

डॉलर कमा कमा कर बेटे

दिल से क्यों कंगाल हो गए।।

Suresh sahani kanpur

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