जामवंत जैसा मुझे दीजिए विवेक प्रभु
रीछपति जैसा मुझे सुघर बनाइए।।
राम का ही नाम लिखूं राम का ही नाम पढूं
मुझे नल नील जैसा बंदर बनाइए।।
अंगद के पांव जैसी धाक रहे शत्रुओं में
मुझे बालीपुत्र सा धुरंधर बनाइए।।
आप पर प्राण वारू शत्रु लंका फूंक डारूं
मुझे हनुमान जैसा चाकर बनाइए।।
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