हमारी ख्वाहिशें कमतर नहीं हैं।

हम उड़ना चाहते हैं पर नहीं हैं।।

तू अपने घर रुके फुरसत नहीं है

हमारे पास अपने घर नहीं हैं।।

तेरी बर्बादियों पर जश्न करते

हमारे दिल मगर पत्थर नहीं हैं।।

तुम्हारी फ़ितरतें हैं बेवफ़ाई

हमारे हाथ में खंज़र नहीं हैं।।

बहुत दिन से तुम्हें देखा नही है

बहुत दिन से भले मंज़र नहीं हैं।।

#सुरेशसाहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है