आज कलम सचमुच आहत है।

अब लक्ष्मीपुत्रों के आगे

पुत्र सरस्वति के बेबस हैं

एकलव्य के हाथ कटे हैं

अर्जुन के खाली तरकश हैं

किन वृहन्नलाओं के जिम्मे

आज द्रौपदीयों की पत है।।

आज कलम सचमुच आहत है।।.....

किन शिखण्डियों ने थामी है

आज धर्म की जिम्मेदारी

अभिमन्यु से छल करने को

उद्यत हैं कायर प्रतिहारी

अट्टहास सुन सुतहन्तों के

हृदय सुभद्रा का विक्षत है।।....

आतुर पार्थ पलायन को है 

सोये चक्र -सुदर्शन धारी

कुटिल शकुनि ललकार रहा है

भय कम्पित है जनता सारी

अवतारों की राह ताकना

सिर्फ़ कायरों की आदत है।।....

उठो वंशजों सत्यवती के

उठो व्यास के धर्म रक्षकों

एकलव्य की संतानों तुम

राह दिखाओ उभय पक्ष को

उठो बदल दो दिशा युद्ध की

फिर से आज महाभारत है ।....

सुरेश साहनी, कानपुर

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