मन उलझन से कैसे निकले
तुम्हें पता है तुम्ही बता दो
पीड़ाओं का अंत नहीं है
अगर दवा है तुम्ही बता दो
तुमने दर्द सहा होता तो
मेरे दिल का दर्द समझते
तुमने प्रेम किया होता तो
मेरी हालत पर ना हंसते
प्यार-मुहब्बत तुम क्या जानो
कभी किया है तुम्ही बता दो....इस
राधा से लेकर मीरा तक
सबने कुछ खोकर पाया है
तुमने प्यार किया ही कब है
तुमको कब रोना आया है
नहीं दिया दिल कि दे दिया है
किसे दिया है तुम्ही बता दो..... इस
#सुरेश साहनी,कानपुर
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